संभाजी महाराज जिसे औरंगजेब भी डरता था | Facts About Sambhaji Maharaj

संभाजी महाराज जिनसे औरंगज़ेब भी डरता था | Hidden Facts About Sambhaji Maharaj
संभाजी महाराज जिनसे औरंगज़ेब भी डरता था|Hidden Facts About Sambhai Mahara

संभाजी महाराज



इतिहास में कई ऐसे महान योद्धा हुए जिन का इतिहास पढ़ कर आज भी हमारे शरीर के रोंगटे खड़े हो 
जाते हैं|और उन्हीं योद्धाओं में से एक थे संभाजी महाराज जो छत्रपति शिवाजी महाराज के जेष्ट पुत्र थे

तो चलिए जानते हैं संभाजी महाराज के बारे में सबसे रोचक बातें जिन्होंने हमेशा अपने जीवन में जन्म से लेकर वीरगति होने तक काफी संघर्ष किया|

संभाजी महाराज का जन्म 1657 में हुआ था | 2 साल की उम्र में ही संभाजी महाराज की मां का देहांत हो गया
और उनकी देखभाल उनकी दादी यानी जीजाबाई ने किया था |संभाजी महाराज कितने बुद्धिमान थे इस बात
का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हो मात्र 13 साल की उम्र में तेरा भाषाएं सीख गए थे | कहीं शास्त्र भी
लिख डाले घुड़सवारी , तीरंदाजी, तलवारबाजी यह सब तो मानो जैसे इनके बाएं हाथ का खेल था |

संभाजी का पहिला युद्ध ।

अपने 16 साल की उम्र में 7 किलो की तलवार लेकर पहला युद्ध लड़ने गए और जीत कर भी आए ।

1681 में मराठा वीर छत्रपति शिवाजी महाराज उनका देहांत हुआ, लेकिन फिर भी संभाजी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और औरंगजेब को तहस - नहस करने निकल पड़े .

संभाजी महाराज ने अपने 9 साल के अंतर्गत 120 लड़ाइयां लड़ी और हैरानी वाली बात तो यह है कि उसमें से
एक भी लड़ाई नहीं हारे |


संभाजी का सबसे बड़ा दुश्मन था औरंगजेब ।

अरिंगजेव को हमेशा लगता था कि रांभाजी महाराज तो एक राधारण रा बच्या है लेकिन 9 राल के अंतर्गत रांभाजी महाराज नै औरंगेव को पूरी तरत रो तहरा-नहरा कर डाला था|

जहां औरंगजेब की 8 लाख की संना थी वही संभाजी गहाराज की मात्र 20,000 लोगों की सेना थी|

औरंगजेब को मह आात तो सगझ में आ गई थी संभाजी को हराना गुश्किल ही नहीं नागुगकिन है।

संभाजी के ऊपर सामने से तो बार नहीं कर सकते इसलिए औरंगजेब ने एक तरकीच सोची

संभाजी महाराज ने उनकी पत्नी के भाई गणोजी शिरके को किसी कारण से बेतन देने से इनकार विया | और इस वात की खवर औरंगजेव को लग गई|और औरगजेव ने इसी बात का फायदा उठाकर गणोजी शिरके को अपनी ओर खीन लिया |

और जब रांभाजी महाराज किी गुप्त मीटिंग के लिए अपने गुप्त रास्ते सो जा रहे थे इरा बात की खबर
गणोजी शिरके ने औरंगजेब को दे दी ।

और तब औरंगजेब ने अपने सेना के 2000 लोगों को भेज कर संभाजी जी महाराज को पकड़ लिया |

जहां 8 लाख की सेना संभाजी महाराज का बाल तक बांका नहीं कर पाई वहा मामूली से 2000 लोगों की सेना
संभाजी महाराज को बंदी बना लिया और कारण था गणोजी शिके ने दिया हुआ धोखा |

जव संभाजी महाराज को औरंगजेव के सामने लेकर गए तो औरंगजेच ने कहां 'नेरी तीन वातें मान जाओ में
चुम्हें छोड़ हूंगा', धर्म परिवर्तन करों , मराठा किंगटम मेरे हवाले करो, पूरा सोना और गहिना वापस कर दो,
और किलने तुम्हारी मदद गी उराका नाम बता दो |

लेकिन रांभाजी महाराज अर कवि कलश के आंखों में इतना रा भी उर नहीं था. संभाजी गहाराज ने कहा पक हजार वार गरगा लेकिन जन्ग अमने गराठा में ही लूंगा ।

फिर क्या था औरंगीम ने उनक 'आखों गे गिी माजर दालना शुर किया, ना्यूनों को उखाड़ना शुरू कर दिया',जलती सलाखों को आंखो में हालना शुरू कर दिया, फिर भी संभाजी महाराज और कवि कलश कुछ नहीं बोले । और 40 दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा |

औरिंगजीन को मता चल गया था की संभाजी अभी भी कुछ नहीं बोलेगा तম औरगजेव ने सभाजी से कहा.

*संभाजी में तेरे से हार गया अगर मेरी 4 संजञानों में से एक भी तरें जेती होता न तो पूरे देश को गुगल संतलन बना देता लेकिन संभाजी तेरे आगे में हवार मान गया और उराके बाद रांभाजी महाराज के हुकजे हुकडे कर डाले.


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